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हरियाणा दिवस निबंध, कविता, नारे, भाषण, पोस्टर

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हरियाणा दिवस निबंध, कविता, नारे, भाषण, पोस्टर: आज ही के दिन साल 1966 में हरियाणा राज्य की स्थापना हुई थी| हर साल 1 नवंबर को हरियाणा दिवस के रूप में मनाया जाता है| हरियाणा राज्य का जन्म पंजाब में से हुआ है| हरियाणा राज्य में मुखयतर निवासी हिंदी भाषा बोलते है| हरियाणा दिवस पर राज्य के स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में हरियाणा दिवस पर निबंध, कविता, पोस्टर, चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता रहा है| इस प्रत्योगिता के आयोजन का मुख्य उद्देश्य राज्य के जन्म के इतिहास और उसके गौरव को भावी पढ़ी को बताना है|

हरियाणा दिवस निबंध, कविता, नारे, भाषण, पोस्टर

हरियाणा दिवस निबंध

हरियाणा दिवस पर प्रदेश में आयोजित प्रतियोगी परीक्षा और स्कूल, कॉलेज की परीक्षाओं में निबंध लिखने के लिए आ जाते है| हरियाणा दिवस पर निबंध लिखने के लिए आपको हरियाणा राज्य का इतिहास पता होना बेहद जरुरी है| आपको यह मालूम होना चाहिए की हरियाणा दिवस कब मनाया जाता है? प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री कौन थे? और वर्तमान में कौन है? हरियाणा दिवस पर निबंध की शुरू प्रदेश की स्थापना और उसकी तारीख के साथ करें और फिर आगे बढे|

हरियाणा दिवस निबंध, कविता, नारे, भाषण, पोस्टर

हरियाणा दिवस कविता

बचपन का टेम याद आ गया कितने काच्चे काटया करते,
आलस का कोए काम ना था भाजे भाजे हांड्या करते ।

माचिस के ताश बनाया करते कित कित त ठा के ल्याया करते
मोर के चंदे ठान ताई 4 बजे उठ के भाज जाया करते ।

ठा के तख्ती टांग के बस्ता स्कूल मे हम जाया करते,
स्कूल के टेम पे मीह बरस ज्या सारी हाना चाहया करते ।

गा के कविता सुनाके पहड़े पिटन त बच जाया करते,
राह म एक जोहड़ पड़े था उड़े तख्ती पोत ल्याया करते ।

“राजा की रानी रुससे जा माहरी तख्ती सूखे जा” कहके फेर सुखाया करते ,
नयी किताब आते ए हम असपे जिलत चड़ाया करते ।


सारे साल उस कहण्या फेर ना कदे खोल लखाया करते ,
बोतल की खाते आइसक्रीम हम बालां के मुरमुरे खाया करते ।

घरा म सबके टीवी ना था पड़ोसिया के देखन जाया करते
ज कोए हमने ना देखन दे फेर हेंडल गेर के आया करते ।

भरी दोफारी महस खोलके जोहड़ पे ले के जाया करते ,
बैठ के ऊपर या पकड़ पूछ ने हम भी बित्तर बड़ जाया करते ।

हरियाणा दिवस मैसेज, SMS, कोट्स, शायरी, स्टेटस, इमेज

साँझ ने खेलते लुहकम लुहका कदे आती पाती खेलया करते,
कदे चंदगी की कदे चंदरभान की डांटा न हम झेलया करते ।

बुआ आर काका भी माहरे खूब ए लाड़ लड़ाया करते,
जब होती कदे पिटाई त बाबू ध्होरे छुड़वाया करते ।

खेता कहण्या जा के फेर नलके टूबेल पे नहाया करते,
चूल्हे ध्होरे बैठ के रोटी घी धर धर के खाया करते ।

होती फेर सोवन की तयारी दादा दादी कहानी सुनाया करते,
बिजली त कदे आवे ना थी बस बिजना हलाया करते ।

हल्की हल्की सी हवा लागती हमते फेर सो जाया करते,
तड़के न जब आँख खुलती सारे ऊट्ठे पाया करते ।

दूसरी खाटा के गुददड़े बत्ती सीले से पाया करते,
छोड़के अपनी खाट न दूसरी पे हटके सो जाया करते ।

जांगड़ा तू क्यां मै बड ग्या जा के कोए ईंट लगा ले न,
ज ईंट लगानी बसकी कोनया आरी राँड़ा ठाले न ।

यो शायरी का काम छोड़ दे इसने मै संभालूँगा,
औरा की त बात छोड़ तेरे पे भी वाह वाह कहवा ल्यूङ्गा ।

लिखण की कोए इच्छा ना थी उकसाया जांगड़ा भैया न।
जिद्दा म ये लाइन बना दी जितेंद्र नाम के दहिया न ॥

– जितेन्द्र दहिया

हरियाणा दिवस भाषण

हरियाणा दिवस पर प्रदेश के राजनेता और अन्य सेलेब्रटी प्रदेश में आयोजित कार्यक्रम में भाषण देते हुए नजर आ जाते है| कई स्कूल, कॉलेज में बच्चे भी हरियाणा दिवस पर स्पीच कम्पटीशन में भाग लेते है| हरियाणा डे पर स्पीच की तैयारी अच्छे से करें और मुख्य बातों को अपने भाषण में तवज्जो दें| ऐसा करने से आपके प्रतियोगी परीक्षा में जीतने की उम्मीद बढ़ जाएगी|

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