मजदूर दिवस निबंध, कविता, पोस्टर, स्लोगन, भाषण: हर साल 1 मई को दुनियाभर में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है| इस दिन को इंटरनेशनल लेबर डे या मई डे या अंतराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के नाम से भी जाना जाता है| क्या आप इस दिन को सेलिब्रेट करने के पीछे का उदेश्य जानते है? दुनिया के हर हिस्से में करोड़ मजदूर निवास करते है, दो वक्त की रोटी के लिए एक मजदूर को सुबह से लेकर रात तक कड़ी मेहनत करनी पड़ती है? तब जाकर उसे दो वक्त का खाना मिलता है| यूरोप के देशों को छोड़कर तकरीबन हर देश के मजदूर की हालत अच्छी नहीं है| इस दिन को इसलिए मनाया जाता है ताकि मजदूरो को उनका हक्क दिलाया जाए, उन्हें किसी भी प्रकार के शोषण से बचाया जाए| आज हम इस पोस्ट में मजदूर दिवस पर निबंध, कविता, पोस्टर स्लोगन शेयर कर रहे है| जिनकी मदद से आप जानेंगे की मजदूर की क्या समस्या है? आदि के बारे| स्कूल, कॉलेज के स्टूडेंट के सामने कई एग्जाम में लेबर डे या श्रमिक दिवस या मजदूर दिवस पर निबंध लिखने को आ जाता है| लेकिन पूरी जानकारी नहीं होने के कारण अच्छा नहीं लिख पाते| आज आप इस पोस्ट को पढ़ने के बाद काफी जानकारी हासिल कर पाएँगे|
मजदूर दिवस निबंध
मजदूर दिवस पर निबंध लिखने के लिए बड़े सरकारी एग्जाम में और स्कूल, कॉलेज आदि के पेपर में भी कहा जाता है| असल में मजदूर दिवस को सेलिब्रेट ही इसलिए किया जाता है की दुनिया हर कोने में रहने वाले मजदूरों की स्तिथि में सुधर किया जाए और उन्हें बुनियादी सुविधाए प्रदान की जाए| मजदूर दिवस की शुरुआत दुनिया में 1 मई 1886 हुई थी, वही भारत में श्रमिक दिवस की शुरुआत किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में हुई थी| आपने सुना होगा की चीन, भारत में काफी सस्ते मजदूर है? क्या आपने कभी सोचा है की ये मजदूर कोन है? ये हम मजदूर हम में से ही है| असल में ये वे लोग है हाथ काम जानते है फिर वो भले ही एक मशीन बनाने वाला व्यक्ति हो या फिर राज मिस्त्री| दुनिया के कई देशों में अब भी मजदूरों को उनके काम के हिसाब से सही वेतन नही मिलता है, जहा वेतन ठीक मिलता है वहा उनसे 12 घंटे या फिर उसे से अधिक काम करवाया जाता है| लेकिन भारत सहित दुनिया के तकरीबन सभी देशों में मजदूर से केवल 8 घंटे काम करवाने का नियम है| जो शायद ही कुछ देशों में फॉलो किया जाता हो|
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श्रमिक दिवस कविता
नीचे एक बेहद ही अच्छी मजदूर दिवस पर कविता हमने शेयर की है आप इस कविता के माध्यम से अपनी फीलिंग को बयाँ कर सकते है|
दो ठो मजबूत हाथ
दो ठो बलिष्ट पाँव
बस इतना ही
और हमारी तस्वीरें हुई मुकम्मल
धड़ के ऊपर का अंश
सिरे से ही गायब क्यों ?
बीच में सिर होता है ना बच्चे
और सिर भीतर दिमाग
बस वही नहीं चाहिये यहाँ
यही दिमाग तो बेलगाम हरकतें करता है
और गड़बड़ इसकी हरकतों से पैदा होती है
ऐसे ही तो चित्रित होती है
देश-दुनिया के मजदूरों की तस्वीरें
धड़ विहीन सिर के
और सुनो,
इनमें रंग मत भरना
ये ऐसे ही शोभा देती हैं
श्वेत-श्याम नहीं तो सलेटी
कोमलता का एक भी लहराती वलय रेखा
यहाँ मत उकेरो
अब लाओ
ले आओ
यहीं बगल में अट्टा दो
सींगों वाले सिरों वाली प्रबुद्धजनों की रंगीन तस्वीरों को
यहाँ बगल में
इस तरह चित्रों के संसार में भी
दो दुनिया इकट्ठा होती हैं
विपरीत दिशाओं में जाने के लिए
मजदूर दिवस पोस्टर
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