तुलसीदास जयंती 2019 शायरी, विशेष, कोट्स, Tulsidas Jayanti Whatsapp Status Images :- हर साल तुलसीदास जयंती श्रावण मास की सप्तमी को मनाई जाती है। यह दिन अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से बदलता रहता है। इस साल तुलसीदास जयंती 7 या 8 अगस्त को मनाई जाएगी। गोस्वामी तुलसीदास हिंदी जगत के एक महान कवि थे इनका जन्म कासगंज जिले के सोरो के शूकरक्षेत्र में हुआ था | तथा इनका जन्म 1511 ईंसवी में हुआ इनकी महान रचनाये रामचरितमानस. हनुमान चालीसा, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल तथा पार्वती मंगल है | इन्होने कई महान कविताये भी लिखी थी। आज तुलसीदास जयंती के अवसर पर हम उनके द्वारा, लिखे कहे गए दोहे, पंक्तियाँ, पविताएं मैसेज, आदि पेश कर रहे है। जिन्हे आप अपने दोस्तों के शेयर कर इस दिन को सेलिब्रेट कर सकते है।
ऐसी मान्यता है कि तुलसीदास को पत्नी रत्नावली से अत्यंत लगाव था। एक बार तुलसीदास ने अपनी पत्नी से मिलने के लिए उफनती नदी को भी पार कर लिया था। तब उनकी पत्नी ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा जितना प्रेम आप मुझसे करते है, उतना स्नेह यदि प्रभु राम से करते, तो तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती। यह सुनते ही तुलसीदास की चेतना जागी और उसी समय से वह प्रभु राम की वंदना में जुट गए।
तुलसीदास जयंती 2019 शायरी
तुलसीदास दोनों कर जोडू, राम ह्रदय विजेता
घट में हरी बसे तुम्हरे, मन भक्ति में लागा
दरस दिए राम लला ने, हनुमत संग बिराजे
उदय हुआ सुख का सूरज, भाग्य किस्मत जागा
धन्य है वो देव पिता भी, धन्य तुम्हारी जननी
जिसको लागा हरी रंग लागा, रंग कोई लागे ना
रंगी तो बस मन चदरिया, हरी के रंग है रंगनी
Tulsidas Jayanti Whatsapp Status
तुलसीदास जयंती विशेष कोट्स
जनम दिवस है आज राम भक्त हनुमान का,
पवन पुत्र, बजरंग बली भगवान का,
मिल कर करो गुणगान उस बलवान का।
हनुमान जयंती की शुभकामनाएं.
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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,
जय कपिस तिहु लोक उजागर,
रामदूत अतुलित बल धामा,
अंजनीपुत्र पवन सूत्त नामा,
जय श्री राम जय हनुमान।
हनुमान जयंती की शुभकामनाएं.
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मनोजनम मारुततुल्य वेगम|
जितेंद्रीयम बुध्दिमताम वरीष्टम|
वातात्मजम वानरयुध्दमुख्यम|
श्रीरामदुतम शरन म प्रपद्ये|
मंगलको जनमे मंगलही करते मंगलमयी भगवान|
जय हनुमान… जय जय हनुमान… केसरीनंदन, जय जय हनुमान…
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तुलसीदास जी ने उस समय में समाज में फैली अनेक कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया अपनी रचनाओं द्वारा उन्होंने सामाज में उत्पन्न बुराईयों को खत्म करने की बात कहीं। आज भी भारत के कोने-कोने में रामलीलाओं का मंचन होता है। उनकी जयंती के उपलक्ष्य में पूरे देशभर में रामचरित मानस व ग्रंथों का पाठ किया जाता है। तुलसीदास जी ने अपना अंतिम समय काशी में व्यतित किया और वहीं राम जी के नाम का स्मरण करते हुए अपने शरीर का त्याग किया।