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Guru Ravidas Jayanti 2018: जानें कौन थे संत रविदास? पढ़े उनके अनमोल वचन

Guru Ravidas Jayanti 2018, Dohe in Hindi, Images: हिन्दू पंजांग के मुताबिक माघ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु रविदास जयंती मनाई जाती रही है| संत गुरु रविदास के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में रविदास जयंती देश भर में धूम धाम से मनाई जाती है| आज 31 जनवरी 2018 को रविदास जी की 641 वीं जयंती देशभर में मनाई जा रही है| इस दिन श्रद्धालु नगर कीर्तन का आयोजन करते है और सुबह पवित्र नदियों में स्नान करते है| इस दिन मंदिरों और गुरुद्वारों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है| गोवर्धनपुर रविदास जी का जन्म स्थान है जो वाराणसी में है, यहाँ पर बने मंदिर में इस दिन को पर्व के रूप में मनाया जाता है| रविदास जयंती के इस पर्व पर लाखों श्रद्धालु यहाँ आते है और अपने गुरु से प्रार्थना करते है और उनके द्वारा कहे गए दोहों को बोलते है|

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Guru Ravidas Jayanti 2018: जानें कौन थे संत रविदास? पढ़े उनके अनमोल वचन

रविदास जी का जन्म 14 वीं शताब्दी में वाराणसी शहर में एक चर्मकार परिवार में हुआ| रविदास जी ने जीवन में पहले बौद्ध, फिर सिख और फिर हिंदू धर्म को अपनाया| निर्गुण सम्प्रदाय के लोग इन्हे प्रसिद्ध संत मानते थे| उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन के नेतृत्व रविदास जी के किया था| रविदास जी ने अपनी रचना के जरिए अनुयायियों, समाज और देश के कई लोगों को धार्मिक और सामाजिक संदेश दिया| रविदास जी जिस समाज से तालुक रखते थे उस समाज को नीच समझा जाता था| लेकिन उन्होंने अपने काम से ऐसे कम करने का प्रयास किया| ऐसी मान्यता है की भगवान ने धरती पर धर्म की रक्षा के लिए संत रविदास जी को धरती पर भेजा था|

 जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।> रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।।
* कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।।

* कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै।

* रैदास कनक और कंगन माहि जिमि अंतर कछु नाहिं।
तैसे ही अंतर नहीं हिन्दुअन तुरकन माहि।।

* हिंदू तुरक नहीं कछु भेदा सभी मह एक रक्त और मासा।
दोऊ एकऊ दूजा नाहीं, पेख्यो सोइ रैदासा।।

* हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस।
ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।।

* मन चंगा तो कठौती में गंगा।

* वर्णाश्रम अभिमान तजि, पद रज बंदहिजासु की।
सन्देह-ग्रन्थि खण्डन-निपन, बानि विमुल रैदास की।।

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गुरु रविदास ने भाईचारे, शांति की सीख दी थी| रविदास जी ने कभी किसी से भी दान-दक्षिणा नहीं ली| वह अपना जीवन यापन करने के लिए जूते बनाने का काम करते थे| उन्ही के विचारों से भक्ति आंदोलन ने तूल पकड़ा था| इतिहासकारों के अनुसार रविदास जी का जन्म 1450 ई. में और मृत्यु 1520 ई. में हुई थी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में रविदास जी की याद में स्मारके भी बनाई गई है| रविदास जी की जयंती के दिन यहाँ पर दोहे गए जाते है|


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